Rajkisan Portal Important Scheme 2025: राजस्थान में, किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। लेकिन किसानों को अकसर सिंचाई, जल प्रबंधन और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है जो की सही नहीं है। इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चलाई हैं जो किसान के लिए बहुत ही लाभकारी है। ये योजनाएं किसानों की आय बढ़ाने, उत्पादन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।
खेत तलाई योजना
खेत तलाई योजना का उद्देश्य वर्षा के जल को इकट्ठा करके इसे सिंचाई के लिए उपयोग में लाना है। इस योजना में किसानों को उनकी जमीन पर तलाई (जल भंडारण संरचना) बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तलाई का मतलब है जमीन में खुदाई कर कर वर्षा के पानी को इकट्ठा करना सरकार इस योजना के तहत कच्ची तलाई के लिए लागत का लगभग 65% या अधिकतम ₹65,000/- और प्लास्टिक लाइनिंग वाली तलाई के लिए लगभग ₹90,000/- तक की सहायता देती है। किसानों को लगभग 400 घनमीटर क्षमता की तलाई बनाने की आवश्यकता होती है। इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलता है, जिनके पास 0.3 हैक्टेयर या उससे अधिक कृषि योग्य भूमि है। यानी कि लगभग उनके पास एक बीघा जमीन होनी चाहिए।
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसान वर्षा जल को इकट्ठा कर सूखे के समय सिंचाई के लिए उपयोग कर सकते हैं। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है और किसानों की फसल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। आवेदन प्रक्रिया भी सरल है; किसान ई-मित्र केंद्र पर जाकर आवश्यक दस्तावेजों जैसे जमीन की नकल नक्शा आदि पर पटवारी के साइन करा कर आवेदन कर सकते हैं।
सिंचाई पाइपलाइन योजना
सिंचाई पाइपलाइन योजना ग्रामीण किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पानी को खेतों तक पहुंचाने में मदद करती है। बहुत सारी जगह ऐसी होती है जिस जगह पर पानी ले जाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसी जगह पर पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन का इस्तेमाल किया जाता है। इस योजना से किस को आदि कीमत पर पाइप उपलब्ध हो जाते हैं इस योजना का उद्देश्य यह है कि पानी की बर्बादी को कम किया जाए और इसे सीधे खेतों तक पहुंचाया जाए। योजना के तहत प्लास्टिक में दो प्रकार के पाइप पाए जाते हैं जिसमें HDPE और PVC पाइपों पर 50% तक का अनुदान या अधिकतम ₹15,000/- दिया जाता है। इसके लिए किसान के पास ट्यूबवेल या कुएं के साथ सिंचाई का साधन होना चाहिए।
यह योजना जल संरक्षण में मददगार साबित होती है और पानी की 20-25% तक बचत सुनिश्चित करती है। किसान ई-मित्र केंद्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और आवेदन करने के बाद विभाग द्वारा सत्यापन किया जाता है।
डिग्गी निर्माण योजना
डिग्गी निर्माण योजना नहरी वाले क्षेत्रों में जल प्रबंधन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना के तहत किसान अपनी जमीन पर डिग्गी (जल भंडारण संरचना) बना सकते हैं। डिग्गी का मतलब खेत में खाई बनाने से है। सरकार न्यूनतम 4 लाख लीटर क्षमता वाली डिग्गी पर लागत का 75% या अधिकतम ₹3 लाख की सहायता देती है।
डिग्गी निर्माण से किसानों को जल संरक्षण में मदद मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि नहरों से मिलने वाले पानी का पूरा उपयोग किया जा सके। इसके साथ ही, ड्रिप या फव्वारा सिंचाई संयंत्र लगाना भी अनिवार्य किया गया है। आवेदन प्रक्रिया सरल है और किसान ई-मित्र केंद्र पर आवेदन कर सकते हैं।
जल हौज योजना
जल हौज योजना छोटे और मध्यम स्तर के ग्रामीण किसानों के लिए बनाई गई है, जो अपने खेतों के पास पानी को संरक्षित करना चाहते हैं। इस योजना में न्यूनतम 100 घनमीटर क्षमता के जल हौज पर लागत का 60% या अधिकतम ₹90,000/- का अनुदान दिया जाता है।
यह योजना किसानों को सिंचाई के लिए पानी की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करती है। इसके तहत किसान पानी को संरक्षित करके अपनी फसलों की सिंचाई कर सकते हैं, जिससे उनकी फसल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
ड्रिप और फव्वारा सिंचाई योजना
ड्रिप और फव्वारा सिंचाई योजना किसानों को जल की बचत के साथ उत्पादन बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पानी की 75-80% तक बचत होती है, जबकि फव्वारा प्रणाली से 50-55% तक पानी बचाया जा सकता है। इन उपकरणों का प्रयोग सुखे स्थान पर करते हैं जहां पानी की मात्रा बिल्कुल कम होती है और वहां खेती करना बहुत मुश्किल होता है।
योजना के तहत सामान्य किसानों को 50% और लघु एवं सीमान्त किसानों को 70% तक का अनुदान मिलता है। अधिकतम 5 हैक्टेयर क्षेत्रफल तक अनुदान दिया जाता है। किसान ई-मित्र केंद्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और आवेदन के बाद ड्रिप या फव्वारा प्रणाली स्थापित की जा सकती है।
मिनी और माइक्रो स्प्रिंकलर योजना
मिनी और माइक्रो स्प्रिंकलर योजनाएं छोटे और मध्यम किसानों के लिए जल संरक्षण और उत्पादन बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका हैं। इन योजनाओं के तहत पानी की 60-65% तक बचत होती है और किसानों को अधिकतम 5 से 6 हैक्टेयर तक 55-76% सहायता राशि मिलती है।
इन योजनाओं के तहत किसानों को जल स्रोत प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, और मृदा परीक्षण रिपोर्ट जैसे दस्तावेज जमा करने होते हैं। सरकार की स्वीकृति के बाद किसान मिनी और माइक्रो स्प्रिंकलर संयंत्र स्थापित कर सकते हैं।
छात्राओं के लिए प्रोत्साहन योजना
कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने विशेष प्रोत्साहन योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, 11वीं और 12वीं में कृषि विषय पढ़ने वाली छात्राओं को ₹5000/- प्रति वर्ष की सहायता राशि मिलती है। कृषि स्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाली छात्राओं को ₹12,000/- प्रति वर्ष और पीएचडी करने वाली छात्राओं को ₹15,000/- प्रति वर्ष की सहायता मिलती है।
रेनगन योजना
रेनगन सिंचाई योजना का उद्देश्य खेतों में सिंचाई के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग बढ़ाना है। यह योजना किसानों को सिंचाई में 50-55% तक पानी की बचत सुनिश्चित करती है। सामान्य किसानों को 50% और लघु एवं सीमान्त किसानों को 60% तक सहायता राशि दिया जाता है।
सरकारी योजनाओं का कृषि पर प्रभाव
इन सभी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं का समाधान करना है और उनके जीवन स्तर को आगे बढ़ना है। जल संरक्षण, उत्पादन में वृद्धि और आधुनिक तकनीकों का उपयोग इन योजनाओं के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है।
इन योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार ने ई-मित्र केंद्रों और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, जिससे किसान आसानी से इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।